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बहुत समय पहले की बात हैं एक गांव में किसी आदमी के पास बहुत सारी गाये थी. वह गायों का दूध बेच कर अपना गुजारा करता था. एक बार उनके गांव में कई महात्मा आए और वहां यज्ञ करने लगे और वो वृक्षों के पत्तों पर श्री हरी श्री हरी लिख रहे थे।

वह व्यक्ति रोज अपनी गायों को वहां चराने ले जाता था. एक दिन एक गाय ने वह श्री हरी नाम लिखा पत्ता खा लिया. शाम को जब सभी गाय वापस अपने बाड़े में चली गई तब वह गाय “श्री हरी – श्री हरी ” बोलने लगी.

तभी सारी गाये उसे बोली, “ये तुम क्या बोल रही हो, तो वह बोली, श्री हरी नामम रूपी पत्ता मेने खा लिया है, ऐसा लगता है यह नाम मेरे अंदर समा गया और मेरा अहंकार चला गया.”

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ऐसा कहकर वह गाय “श्री हरी श्री हरी” नाम जपती रही. सभी गायों ने निर्णय लिया कि इसे अपनी टोली से बाहर कर देते हैं. सुबह जब व्यक्ति आया तो उसने देखा कि वह गाय बाड़े के बाहर खड़ी है.

तो वह उसे वापस बाड़े के अंदर करता है परंतु बाकी की गाय उसे सिंग मार कर वापस बाड़े के बाहर कर देती है. उस व्यक्ति को कुछ समझ नहीं आता कि सभी गाये इसे दूर क्यों कर रही है, इसको कोई बीमारी तो नहीं हो गई.

कहीं ऐसा ना हो कि एक गाय के चक्कर में मेरी सभी गाय बीमार हो जाए, तो वह व्यक्ति रात को उस गाय को जंगल में छोड़ आता है।

जंगल मैं एक चोर को वह गाय मिलती है. वह उसे दूर गांव में ले जाकर किसी किसान को बेच देता है. वह किसान भी देखता है कि यह गाय सारा दिन श्री हरी श्री हरी जपती रहती है.

अब किसान उस गाय का दूध बेच कर अपना गुजारा करने लगा. श्री हरी नाम के प्रभाव से उस गाय का दूध अमृत समान हो गया। दूर–दूर से लोग उस गाय का दूध लेने आने लगे और उस किसान के घर के हालात सुधरने लगे।

एक दिन राजा के मंत्री वहां से गुजर रहे थे, तभी वह किसान के घर रुके तो किसान ने उन्हें उस गाय का दूध पिलाया, वो दूध पीकर मंत्री किसान से बोले हमने ऐसा दूध कभी नहीं पिया.

किसान बोला यह तो इस गाय का दूध है जो सारा दिन श्री हरी श्री हरी करती रहती है।

श्री हरी नाम का जाप करती उस गाय को देखकर मंत्री हैरान रह जाते हैं और वापस महल को लौट जाते हैं।

उन दिनों उस नगर की रानी बीमार थी, कई वैद्यों के उपचार के बाद भी जब वह ठीक ना हुई तो राजगुरु बोले कि रानी को तो भगवान ही बचा सकते हैं. तभी मंत्री ने राजा को उस गाय के बारे में बताया.

राजा को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ और वह मंत्री के साथ किसान के पास पहुंचे और उस गाय को देखकर हैरान रह गए. राजा, किसान से बोले यह गाय मुझे दे दो.

किसान हाथ जोड़कर राजा से बोला, “महाराज, इस गाय के कारण मेरे घर के हालात ठीक हुए हैं, मैं यह गाय यदि आप दे दूंगा तो मैं फिर से भूखा मरने लगूंगा. राजा बोला मैं आपको इस गाय के बदले इतना धन दूंगा कि आप की गरीबी दूर हो जाएगी.

तब किसान ने खुशी-खुशी गाय को राजा को दे दिया।

अब वह गाय महल में रानी के पास रहती है और श्री हरी नाम का जाप करती रहती. श्री हरी नाम के जाप को सुनने से और उस गाय के अमृत रूपी दूध को पीने से रानी की सेहत सुधरने लगी और धीरे-धीरे वह ठीक हो गई.

अब गाय राज महल में राजा के साथ रहने लगी उस गाय की संगत में सारा गांव श्री हरी नाम का जाप करने लगा पूरे महल में और पूरे नगर में श्री हरी नाम का जाप गूंजने लगा.

श्री हरी नाम के प्रभाव से एक पशु राज महल के सुखों को भोगने लगी. इसी तरह श्री हरी नाम के जाप से मनुष्य भी भवसागर से पार हो सकता है।

शिक्षा:
जिस प्रकार गाय ने श्री हरी की शरण चुनी और उसका सम्पूर्ण जीवन बदल गया ठीक इसी प्रकार यदि हम भी जीवन में सद्पुरुषु और भगवान् की शरण में जाते हैं तो हम भी भवसागर से पार हो सकते हैं |

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