हिन्दू धर्म ग्रंथो उपनिषदों एवं पुराणों आदि का अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से ही श्री विश्वकर्मा शिल्पी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न मात्र मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है । भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कार्यो के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा किया गया है |
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होनेवाले वस्तुएं भी श्री विश्वकर्मा द्वारा ही बनाई गई है। कर्ण का कवच और कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है । अब आपको समझ ही गए होंगे की भगवान् विश्वकर्मा जी की पूजा सभी लोगो द्वारा क्यों की जाती है | आज के लेख हम आपके साथ श्री विश्वकर्मा जी की आरती (Shri Vishwakarma Ji Ki Aarti) हिंदी एवं इंग्लिश माध्यम में साझा कर रहे हैं |
श्री विश्वकर्मा जी की आरती (Lord Vishwakarma Aarti in Hindi Lyrics Text)
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा |
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ||
आदि सृष्टि मे विधि को श्रुति उपदेश दिया |
जीव मात्रा का जाग मे, ज्ञान विकास किया ||
ऋषि अंगीरा ताप से, शांति नहीं पाई |
रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रया लीना |
संकट मोचन बनकर डोर दुःखा कीना ||
जय श्री विश्वकर्मा.
जब रथकार दंपति, तुम्हारी टर करी |
सुनकर दीं प्रार्थना, विपत हरी सागरी ||
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे |
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे ||
ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे |
मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ||
श्री विश्वकर्मा की आरती जो कोई गावे |
भाजात गजानांद स्वामी, सुख संपाति पावे ||
जय श्री विश्वकर्मा.
Download Shree VishwaKarma Aarti in Hindi
Lord Vishwakarma Aarti in English Lyrics Text
Jai shri vishwakarma prabhu, jai shri vishwakarma |
Sakal srishti ke karta, rakshak stuti dharma ||
Aadi srishti me vidhi ko shruti updesh diya |
Jeev matra ka jag me, gyan vikas kiya ||
Rishi angira tap se, shanti nahin pai |
Rog grast raja ne jab aashraya leena |
Sankat mochan bankar door duhkha keena ||
Jai shri vishwakarma.
Jab rathkaar dampati, tumhari ter kari |
Sunkar deen prarthna, vipat hari sagari ||
Ekanan chaturanan, panchanan raje |
Tribhuj chaturbhuj dashbhuj, sakal roop saje ||
Dhyan dhare tab pad ka, sakal siddhi aave |
Mann dvividha mit jave, atal shakti pave ||
Shri vishwakarma ki aarti jo koi gave |
Bhajat gajanand swami, sukh sampati pave ||
Jai shri vishwakarma.
Download Shri VishwaKarma Aarti in English Text
कैसे करें श्री विश्वकर्मा जी की सच्ची आरती ?
यह बात तो सब जानते ही है की संसार पंच महाभूतों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है। आरती में ये पांच वस्तुएं (पंच महाभूत) रहते है—
- पृथ्वी की सुगंध—कपूर
- जल की मधुर धारा—घी
- अग्नि—दीपक की लौ
- वायु—लौ का हिलना
- आकाश—घण्टा, घण्टी, शंख, मृदंग आदि की ध्वनि
इस प्रकार सम्पूर्ण संसार से ही भगवान की आरती होती है।
मानव शरीर से भी कर सकतें है सच्ची आरती
मानव शरीर भी पंचमहाभूतों से बना है । मनुष्य अपने शरीर से भी ईश्वर की आरती कर सकता है ।
जाने कैसे ?
अपने देह का दीपक, जीवन का घी, प्राण की बाती, और आत्मा की लौ सजाकर भगवान के इशारे पर नाचना—यही सच्ची आरती है। इस तरह की सच्ची आरती करने पर संसार का बंधन छूट जाता है और जीव को भगवान के दर्शन होने लगते हैं।