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GST गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स को 31 मार्च 2017 से विशेष क्षेत्रों में लागु करने का निर्णयलिया गया है, सरकार के अनुसार इससे टैक्स देने वालो को काफी सुविधा मिलेगी (GST) गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स कहें तो एक ऐसा नया टैक्स जो अब सब को हर एक वस्तुओं और सेवाओ पर देना होगा| इससे पहले जो भी टैक्स लगते थे अब वो आप को नहीं देने होंगे जैसे की वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह अब आपका एक ही टैक्स लगेगा जो पुरे भारत में लागु होगा.

GST क्या है

जीएसटी एक ऐसा टैक्स है जो राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी सामान या सेवा की मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री और इस्तेमाल पर लगाया जाता है। इस सिस्टम के लागू होने के बाद चुंगी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), राज्य स्तर के सेल्स टैक्स या वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फी, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, सामान के ट्रांसपोटेर्शन पर लगने वाले टैक्स इत्यादि खत्म हो जाएंगे।GST Bill

इस व्यवस्था में गुड्स और सविर्सेज की खरीद पर अदा किए गए जीएसटी को उनकी सप्लाई के वक्त दिए जाने वाले जीएसटी के मुकाबले अजस्ट कर दिया जाता है। हालांकि यह टैक्स आखिर में कन्जयूमर को देना होता है क्योंकि वह सप्लाई चेन में खड़ा आखिरी शख्स होता है। मिसाल के तौर पर, अगर दिल्ली का कोई मैन्युफैक्चरर 1 करोड़ रुपये का सामान दिल्ली के ही किसी डिस्ट्रीब्यूटर को बेचता है तो 18 फीसदी जीएसटी (काल्पनिक) के लिहाज से उसे 18 लाख रुपये सरकार को अदा करने होंगे। लेकिन अगर उस मैन्युफैक्चरर को 1 करोड़ के सामान का इनपुट कॉस्ट 60 लाख रुपये पड़ा हो तो उसने पहले ही टैक्स के तौर पर 10.8 लाख रुपये चुका दिए हैं।

GST लागू होने के फायदे

जीएसटी लागू होने से सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को होगा. पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा. यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी. जैसे कोई कार अगर आप दिल्ली में खरीदते हैं तो उसकी कीमत अलग होती है, वहीं किसी और राज्य में उसी कार को खरीदने के लिए अलग कीमत चुकानी पड़ती है. इसके लागू होने से कोई भी सामान किसी भी राज्य में एक ही रेट पर मिलेगा.

GST लागू होने से कितनी घटेगी/बढ़ेगी महंगाई?

प्रस्तावित GST के तहत सामानों (कन्जूयमर प्राइस इंडेक्स में शामिल 70-75 प्रतिशत) पर प्रभावी टैक्स की दर कम होगी।
35 से 40 प्रतिशत तक सामान (ज्यादातर कृषि उत्पाद) टैक्स के दायरे में नहीं आएगे और भविष्य में भी यही स्थिति बरकरार रहने की उम्मीद।
सेवा आधारित कंपोनेंट्स में अभी कन्जूयमर प्राइस इंडेक्स बास्केट का हिस्सा 25 से 30 पर्सेंट है। इनमें हाउजिंग, ट्रांसपोर्ट और कम्यूनिकेशन सेक्टर की बड़ी भागीदारी है। सीपीआई बास्केट में आनेवाले 12 पर्सेंट सर्विसेज पर सर्विस टैक्स लागू नहीं हैं और जीएसटी के बाद भी इनके छूट के दायरे में ही रहने की उम्मीद है। कन्जयूमर से जुड़े सवाओं पर टैक्स वृद्धि का सीधा असर होने की आशंका नहीं के बराबर है।
मतलब, जीएसटी लागू होने से महंगाई पर कोई खास असर नहीं होगा।

GST बिल के दायरे में ये नहीं

पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स

पंचायत/नगरपालिका/नगर निगम/ जिला परिषद आदि द्वारा लगाया जानेवाला एंटरटेनमेंट और अम्यूजमेंट टैक्स
अल्कोहल/शराब पीने पर टैक्स
स्टैंप ड्यूटी, कस्टम्स ड्यूटी
बिजली की खपत और बिक्री पर टैक्स

ऑटोमोबिल्स कम्पनी पर GST बिल का असर

 अभी इस सेक्टर पर 30 से 47 प्रतिशत टैक्स लगता है। 

जीएसटी लागू होने से टैक्स रेट टैक्स रेट 20 से 22 पर्सेंट तक आ जाने की उम्मीद। इससे मांग बढ़ने और एंड यूजर की लागत करीब 10 प्रतिशत घटने की उम्मीद है। माल ढुलाई में समय की बचत होगी और कुल लागत भी कम पड़ेगी। लॉजिस्टिक्स और सप्लाइ चेन इन्वेंटरी की लागत में करीब-करीब 30 से 40 प्रतिशत तक की कटौती। कुल मिलाकर जीएसटी ऑटोमोबिल सेक्टर के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

GST बिल लागू होने से किसको होगा नुकसान

जीएसटी लागू होने से केंद्र को तो फायदा होगा लेकिन राज्यों को इस बात का डर था कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूले पाएंगे जिससे उनकी कमाई कम हो जाएगी. गौरतलब है कि पेट्रोल व डीजल से तो कई राज्यों का आधा बजट चलता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इन वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें. राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा.